Saturday 6 May 2017

एक छुटी सी LOVE STORY


एक छुटी सी LOVE STORY....
            Story End but love story don't end...
A Reall Story,Writing By:
       Ratikant Kamila

उससे मिलने से पहले मेरे जीवन में कुछ खोलापन सा था, एक अजीब सा खालीपन था, जिसे आजतक मेरे अलावा किसी ने महसूस  नहीं किया था. क्योंकि मैं स्वभाव से बहुत चंचल था, इस कारण मैं कॉलेज में भी और घर में भी लोगों से घिरा रहता था. इसके बावजूद कि मैं बहुत बलता  था., मेरे जीवन का एक दूसरा पहलु भी था. और जीवन के उस हिस्से में आने की इजाजत मैंने किसी को नहीं दिया था. बाहर से खुश दिखाई देने बाला लड़का जिसे लोग हर पल हसंते-खिलखिलाते देखते थे, उसके बारे में ये अंदाजा तक नहीं लगाया जा सकता था कि वो अंदर से इतनी अकेला हगा, ढेर सारे दर्द अपने भीतर समेटे हुए होगा. मैंने अपने आस-पास एक घेरा सा बना लिया था, कोई भी मेरे द्वारा बनाए गए दायरों को नहीं तोड़ सकता था.


मुझे इस बात पर यकिन नहीं हो रहा था कि वो लड़की मेरे बनाए गए दायरों को तोड़कर मेरा सोच में समाता चला जा रही थी. शुरू-शुरू में उससे बात करना महज एक औपचारिकता थी. Classmet होने की वजह से मेरा और उसकी अक्सर थोड़ी-बहुत बातचीत होती रहती थी. लेकिन मुझे इस बात का इल्म तक नहीं था कि वो मुझे मन ही मन पसंद करता थी, मुझसे दिबानी की तरह प्यार करता थी, ये अलग बात थी कि आज तक उसने इस बात को मेरे सामने कभी जाहिर नहीं होने दि थी. मुझे छोटी से छोटी तकलीफ होने पर, उसे मुझसे ज्यादा दर्द होता थी. कोई ऐसे भी किसी को चाह सकता है यकीन करने में बहुत वक्त लगा. लेकिन समय के साथ मुझे इस बात का एहसास  हो  गया कि  ये लड़की मेरी चिंता करती है, मेरा ख्याल रखती है. उसके प्यार में पागलपन थी, मेरी ख़ुशी के लिए वो कुछ भी कर देती थी. उस लड़की ने  बिना इस बात का जिक्र किये कि उसे मुझसे बातें करना अच्छा  लगता है, मेरे साथ वक्त बिताना अच्छा लगता है, बड़ी ही चालाकी से मुझसे दोस्ती के लिए पूछी. उस दिन संयोग से हम दोनों कॉलेज जल्दी आ गए थे और क्लास रूम  में कोई नहीं था- ‘’ उसने कहा कि क्या मैं तुम्हारा कंध में सर रख सकती हु‘’ पहले तो मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि आज इस लड़की को क्या हो गया है ये इस तरह की बातें क्यों कर रही है.  उसकी आँखों में सच्चाई थी और ये बात मैं साफ़-साफ़ देख सकता था. उसने इतनी Honestly मेरा  कंध में शिर रख ने बात कि मैं उसे मना नहीं कर पाया और मैंने उसे yesकहे दिया. ‘’उसने मेरा कंध में शिर रख के ,मेरा हाथ अपने हाथों में लिया और कहेने लगी, क्या तुम मेरी दोस्त बनुगे तुम मुझे अछ लगते हो और मैं तुममें एक अच्छा दोस्त देखती  हूँ, अच्छा इंसान देखिती हूँ और मैं चाहाहती हूँ कि मैं जिंदगी भर तुम्हारा दोस्त बनकर तुम्हारे साथ रहूँ.’’
उसने इतनी ईमानदारी से अपनी इस बात को मेरे सामने रखा कि मैं ना नहीं कर पाया और मैंने हाँ कर दिया. उस दिन उसने बस इतना हीं कहा और चली गेइ मुझसे दोस्ती करने की खुशी मैं साफ़-साफ़ उसके चेहरे पर देख सकता था . मैंने इस बात को बड़े हल्के में लिया, हांलाकि मुझे ये सोच कर दिन भर बहुत हंसी आ रहा कि किस तरह से डरते-डरते उसने मेरा हाथ पाकड़थी . जब मैंने अपना हाथ उसके हाथों में दिया था तो मैं अच्छी तरह से उसकी कांपती हाथों को महसूस कर सकता था. और पूरे दिन उस वाकये को याद करके मुझे हंसी आ रहा था, मैं अकेले में भी बिना बात के हँसे जा रहा था.
मेरे आस-पास रहने वाले लोग ये देख कर समझ गए थे कि जरुर कोई बात है. अब हम दोनो दोस्त बन गए थे और उसने बड़ी ही चालाकी से मुझसे किसी भी वक्त फोन पर बात करने की इजाजत मांग लिया था . अब वो मुझसे फोन पर बातें करने लगी थी. अब उससे बात करना मुझे भी अच्छा लगने लगा था, मेरे अंदर क्या चल रहा था मुझे समझ में नहीं आ रहा था. क्यों मैं उसके miss call  का इंतज़ार करने लगा था  ? क्यों मैं उसकी ओर खिंची चली जा रहा था ? शायद  उससे अपनी बातें share करना मुझे अच्छा लगने लगा था. जब  भी मैं उदास होती किसी को पता चले ना चले उसे पता चल जाता था, और वह मेरी उदासी को दूर करने का हर संभव प्रयास करता था.
एक दिन उसने मुझसे I Love You कहा, मुझे वक्त लगा… लेकिन मैंने भी अपने प्यार का इजहार कर दिया.  उसने भी मुझे अपना दीवाना बना लि थी. बाइक पर अक्सर घूमने निकल जाना, ये सब हमें अच्छा लगने लगा था. उसकी पूरी दुनिया बन गई था मैं, मेरी पूजा करता थी वो.  दिन तेजी से बीतने लगे, हम दोनों दुनिया को भूल चुके थे. प्यार के उस दौर ने हम दोनों को भीतर से बदल दिया था. हमने प्यार की ढ़ेरों कसमें खाई, और ढ़ेरों वादे किए.
समय के साथ साथ callege ख़तम हो गया था हमारा.family की जिमेदारी वोर कुछ बन का निसा मुझे Bangleore जाने में मजबूर किया,में उसकी इजाजत ले के Bangleore चला आया कुछ बन ने किलिये .job करने लगा में ,हमारे फ़ोन में बात हते थे रोज ....।मेरे मन में पचपन से Art के प्रति पियार है इसलिए में Actor बन ना चाहाता था। Bangleore में job  के साथ में एक dramatic callege में (NACT) addimion हो गया । वक्त ने करवट लिया, अभी 1 साल हो चूका था Bangleore में...एक दिन अचानक मुझे उस लड़की का फ़ोन आया ,वो phone में रोते रोते बलि-मुझे आके तुम ले जाओ....क्यों की
 मेरे पिताजी ने 20-21 साल की कम उम्र में हीं मेरी शादी पक्की कर दी. plz मुझे ले जाओ...अंदर से मेरा हाल भी बेहाल था,
 लेकिन वह मुझसे ज्यादा बेहाल थी. वह किसी भी हद तक जाने को तैयार थी, मेरा साथ पाने के लिए. लेकिन
उसी साल मेरा आर्ट college fainal Exm था।में उसे बला तुम 1months रोक जाओ में तुम्हरे घर में आके  कसे भी कर के ले के आउगा...वो इस बात सोन के कुछ नहीं बलि फ़ोन रख  दी ..उस दिन बाद मुझे फ़ोन कर ना थुदा कम कर दी ।में मेरा job और acting calless में इतना busy था की इस बात कु गेर नहीं किया ।Exm ख़तम हते होए में उसे call kya लिकिन उस का phone no s.off आ रहा था।में बहुत बार call try क्या लिकिन कुछ फ़ायदा नहीं होया उस का phone बंद था। मुझे बहुत बेचेंन हने लगा ।रात में नीद उड़ गया.....आखिर में disease क्या की में गोंव जाओ,में tren का पकड के गोंव चला आया ।गाव आने के बाद में उसे मिल ने गया उस का गोंव में लिकिन वो मुझे मिली नहीं ।असे कर के में 1 दिन 2 दिन 3दिन उस का गोंव में उस कु मिल ने किलिये इंतजार कर ने लगा लिकिन वो मिली नहीं...असे कर के 15 दिन होगया । 15 ,20 दिन के बाद में में कुछ काम के सिल सिले में कही जा रहा था मे और मेरा दोस्त bike में जाते मुझे महेसुश होया की कई मेरे अपने मेरे पास में गुजर के गई ,में पीछे पलट के देख तो वो लड़की साइकल से जा रही थी। में उसे अब्बाज दिया -संगीता.....वो पीछे घूम के देखि और खड़ा हो गई ।मरे दिल बहुत तेज धड़क हो रहा था ।में उस के पास आया और अछे से देख ने लगा ।में पूछा इतना दिन तुम कहा थी। में तुम्हे मिलने किलिये इतना दिन से खोज रहा था। मेरे सबाल सुन के वो कुछ प्रतिक्रिया नहीं की ।वो इतना पूछा Bangleore से कब लोटे तुम?...इतनी सी बल के वो जाने लगी .मुझे बहुत अचबिंत होया जो लड़की मरे बिना एक पल भी  नहीं रहेता था ।आज वो कुछ पूछे होए जा  रही है। में उधर ही खड़ा था वो जाते होए road देखते रहे गया। उस रात में सोया नही मेने। सुभे हते होए मरे एक दोस्त कु लेके उस का गोंव गया मने उस कु मनाने किलिये क्यों की में सोचा था सायेद वो मरे ओपर नाराज है तो मनाने से मान जाएगी। लिकिन उल्टा होया वो मुझे देख के इगनोर कर ने लगी ।इसे ही में 1दिन 2दिन 7 दिन मानाने लगा लिकिन कुछ फाइदा नेही होया।एक दिन हद होगया वो मुझे पहेचान ने की इंकार कर दिया ।में इये बात उसके मुख से सोन के मुझे bililve नहीं होया। मेरा दिल टूट गया में सीधा घर गया और सोगया दोसरे दिन में Tren पकडके Bangleore चला आया। में सोचा सगीता अभी गुस्सा ने मुझे असे बलि है 2 दिन के बाद जरुर वो मुझे फ़ोन करेगी। लिकिन सायेद मेरा सोचना गलत था।3दिन के बाद मेरा फ़ोन ring हने लगा वो लड़की की नहीं ,मेरा एक friend.friend बोला-रतिकांत एक बात है ।संगीता की बारे में
में बला -क्या होया संगीता कु ?
Friend -sangita की शादी हो चुकी है।तू जाने के बाद ।
कुछ बल ने की मरे पास जबाब नहीं था .....
उस दिन से ना उस के साथ मुलाक़ात होया न मने phone कर ने की कूशिश की...वो जाने के बाद और कुई लड़की मरे ज़िन्दगी में नहीं आया ।न में किसी कु आने दिया .....
  इए था मरे कहानी ....आज भी में दोय करता हु वो जहा भी रहे खुश रहे...

उस दौर में जी रहे हैं हम जहाँ दुश्मन तो आसानी से पहचाने जाते हैं. लेकिन सच्चे या झूठे प्यार को पहचानना दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा है. Moral message of the story : प्यार कीजिए, लेकिन सोच समझकर. अंधे प्यार का अंत हमेशा बुरा होता है. यह मौलिक कहानी आपको कैसी लगा , यह हमें जरुर बताएँ. आपके सलाहों और सुझावों का हमें इंतजार रहेगा.....